Wednesday, August 11, 2010

की जूते कहा उतारे थे ...


छोटी छोटी चित्रायी यादें
बिछी हुई है लम्हों की
लॉन पर
नंगे पैर उनपर चलते चलते
इतनी दूर चले आये
की अब भूल गए है की
जूते कहा उतारे थे |

एडी कोमल थी,जब आये थे
थोड़ी सी नाज़ुक है अभी भी
और नाजुक ही रहेगी
इन खट्टी मीठी यादों की शरारत
जब तक इन्हें गुदगुदाती रहे |

सच भूल गए है
की
जूते कहा उतारे थे |

पर लगता है अब उनकी ज़रुरत नहीं !



-Favorite lines from movie Udaan 

1 comment:

  1. खखूप छान माहिती आहे.आमच्या ब्लॉग ल पण नक्की भेट द्या.
    JIo Marathi

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